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मो. शहाबुद्दीन के शव को उनके पैतृक गांव सिवान के प्रतापपुर गांव में दफनाने की मांग को पूरी नहीं की गई। दिल्ली में ही किया गया सुपुर्द ए खाक।

पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का असमय इंतकाल RJD कार्यकर्ताओ और RJD की विचारधारा में आस्था रखने वालों के लिए एक सदमा है। पूर्व सांसद मोहम्मद साबुद्दीन ताउम्र गरीबों, शोषितों और वंचितो के मान सम्मान की लड़ाई लड़ते रहे। जैसा कि परिजन ही मानते हैं कि पर सांसद की मौत महज कोरोना नहीं हुई है। तिहाड़ जेल के अतिसुरक्षित सेल में covid कैसे पहुँच गया, ये लोगों के गले नहीं उतर रहा है। दो बार विधायक और चार बार सांसद रहने वाले शख्स को AMS में बेड न मिलना समान बात नहीं है। पूरा मामला सवालों के घेरो में हैं। लिहाज मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

आखिरकार मोहम्मद शहाबुद्दीन को उनके पैतृक गांव सिवान के प्रतापपुर गांव में दफनाने की मांग को पूरी नहीं की गई। RJD के पूर्व सांसद को नई सोमवार की देर शाम दिल्ली के आईटीओ बेरुण दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। इससे पहले मौलाना एम आरिफ कासमी ने जनाजे की नमाज पढ़ाई। लकड़ी के बॉक्स में कफन में लपेट कर शहाबुद्दीन के शव को दफन किया गया। शनिवार को दिल्ली दिनदयाल उपाध्याय अस्पताल में इलाज के दौरान मो. शहाबुद्दीन की मौत हो गई थी। सब को सुपुर्दे खाक के लिए एंबुलेंस से जदीद कब्रिस्तान लाया गया था। प्रशासन द्वारा 20 लोगों को ही सुपुर्द ए खाक में शामिल होने की अनुमति दी गई थी।

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