दिघलबैंक:- उक्त सवाल धनटोला पंचायत के वार्ड-14 के करीब दर्जन भर किसानो का है। आपको बता दें कि विगत रात करीब 12 बजे जंगली हाथियों के झुंड ने एक बार फिर से वार्ड-14 के घरों को निशाना बनाने की कोशिश की। किन्तु स्थानीय लोगो की जागरूकता व रतजगा की वजह से यह नाकाम रहा। हाथियों ने अपने असफल प्रयास के बाद खेतों में वापस जाकर होलियाना अंदाज़ में दौनी करना शुरू कर दिया। जिसकी चपेट में कुलदेव ठाकुर के 7 कठा,भुवनेश्वर ठाकुर के 2-3 कट्ठा के साथ दर्जन भर किसानों की मकई की फसले आ गई हैं। फसलों को तहस नहस करने के बाद करीब 3 बजे रात को मतवाले हाथियों का झुंड वापस लौट गया। अब किसानों को मुआवजा तो मिलने से रहा, किसी तरह ये मजबूर किसान अपने आपको होलियाना रंग में रंगने की कोशिश कर रहे हैं।
भारतीय सीम़ाओं से सटे नेपाली भूभाग के जंगलों से इनका यह झुंड मक्का फसल लगने के समय हीं आता है। जहाँ वन विभाग के हू -हा, पड़ाकों की आवाजें और पुलिस के सायरन से कभी कभी इन पर असर डाल जाता है। पर वह भी तब जब रात हो जाती हो। नहीं तो ये खेतों में फसलों को खाकर, रौंदकर या फिर किसी ने इनको टोका तो उनके घरों को तोड़कर, मक्कों के लम्बे और घने खेतों में हीं दिन गुजार देते हैं । ऐसे में गजराज के हमलों से गई जानों के डर से लोग दिन तो दिन रात को भी चैन नहीं ले पाते हैं । इनका प्रकोप बारभांग, सूडीभीठा, धनतोला, मूलाबाड़ी, तेलीभीठा, करुवामनी और दुबड़ी, खाड़ी दुबड़ी में अधिकतर देखा जा रहा है।
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